जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi


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Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi: आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ जय अम्बे गौरी आरतीPDF शेयर करेंगे, जिसे आप इसी पोस्ट में नीचे दिए गए डायरेक्ट डाउनलोड लिंक के माध्यम से डाउनलोड कर सकते है|

यह आरती माँ दुर्गा को समर्पित आरती है जिसका पाठ मुख्या रूप से नवरात्री, वट सावित्री, गणगौर तथा करवाचौथ के शुभ अवसर पर किया जाता है|

Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi

PDF Nameजय अम्बे गौरी आरती PDF
LanguageHindi
No. of Pages3
PDF Size0.74 MB
CategoryRELIGION & SPIRITUALITY
QualityExcellent

जय अम्बे गौरी आरती PDF Summary

जय अम्बे गौरी आरती

माता गौरी यानि माँ दुर्गा, दोनों आदिशक्ति माता पार्वती का ही अवतार है, इसीलिए वैसी सभी पूजा जिसमे शिव और पार्वती की पूजा कि जाती है, उसमे इस आरती का पाठ अवश्य किया जाता है|

जय आंबे गौरी आरती, माता गौरी की सबसे चर्चित और सबसे ज्यदा पसंद किया जाने वाला आरती है| इसीलिए हमे त्योहारों के शुभ लक्ष्य पर किसी न किसी मंदिर में यह आरती बजते हुए सुनने को अवश्य मिलता है|

यह आरती माँ दूसरा का सबसे प्रसिद्ध आरती है जिसके बारे में लगभग सभी व्यक्ति को मालूम है जो माँ दुर्गा के भक्ति पर विश्वास रखते है|

आइये जय आंबे गौरी आरती के लिरिक्स को जानते है|

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥

जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥

जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥

जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥

जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥

जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥

जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्‍तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥

जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥

जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती,जो को‌ई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥

जय अम्बे गौरी

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