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जैन धर्म के बारे में कई प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंक, रेलवे तथा UPSC और State PCS में भी पूछे जाते है, अगर आप भी जैन धर्म के इतिहास और इससे जुड़े प्रश्नोत्तर के बारे में जानना चाहते है तो आज के इस पोस्ट में शेयर किये गए नोट्स का अध्ययन एक बार जरुर कर ले|
Jain Dharm PDF in Hindi
PDF Name | जैन धर्म का इतिहास pdf |
Language | Hindi |
No. of Pages | 13 |
PDF Size | 700 KB |
Category | History |
Quality | Excellent |
जैन धर्म का इतिहास PDF Summery
जैन धर्म भी भारत के प्राचीन धर्मों में से एक है| जैन धर्म का स्थापना इसके प्रथम तीर्थकर ऋषवदेव के द्वारा किया गया था, तीर्थकर का अर्थ जैन धर्म के अनुसार धर्मगुरु होता है अतः जैन धर्म के प्रथम धर्मगुरु ऋषवदेव है|
जैन शब्द की उत्पत्ति शब्द “जिन” से हुआ है जिसका अर्थ होता है इन्द्रियो में विजय पाना| जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकार हुए, जिसमे सबसे पहला ऋषवदेव है और सबसे अंतिम महावीर स्वामी है| जैन धर्म के धार्मिक स्थल को जिनालय कहा जाता है|
भारत में जैन धर्म के लोग लगभग सभी राज्य में पाए जाते है और इनकी संख्या अन्य धर्मों के लोगों की तुलना कम है| जैन धर्म का इतिहास भी अन्य धर्मों के भांति वृहद् है इसीलिए सम्पूर्ण इतिहास को पढने के लिए आपको पीडीऍफ़ को डाउनलोड करके अवश्य पढना चाहिए|
जैन धर्म का संपूर्ण इतिहास को पढने के लिए निचे दिए गए डाउनलोड बटन का अनुसरण करके pdf को डाउनलोड करके पढ़ सकते है|
Download Jain Dharm PDF in Hindi
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आज के इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपके साथ जैन धर्म का इतिहास pdf नोट्स शेयर किया, अगर इस नोट्स में दी गयी जानकारी आपको अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ इस पोस्ट को शेयर जरुर करे|
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प्रश्न:- जैन धर्म के कुल कितने तीर्थकार हुए है?
उत्तर:- 24 तीर्थकार
प्रश्न:- जैन ह्दर्म के स्थापना का श्रेय किसको जाता है?
उत्तर:- ऋषवदेव
प्रश्न:- जैन धर्म का सम्पूर्ण सटीक इतिहास कहाँ पढ़ सकते है?
उत्तर:- इस पोस्ट में शेयर किया गया पीडीऍफ़ को डाउनलोड करके आप जैन धर्म के सम्पूर्ण इतिहास को सरल शब्दों में क्रमबद्ध तरीके से पढ़ सकते है|