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वर्तमान समय में उतराखंड में स्थित कुमाऊँ का इतिहास बहुत ही विस्तृत है, पण्डित बद्रीदत्त पांडेय के पुस्तक “कुमाऊँ का इतिहास” में वह, इसके इतिहास का वर्णन बहुत ही विस्तार से किया है| साथ-ही इस क्षेत्र का नाम कुर्मांचल से बदलकर कुमाऊँ क्यों रखा गया इसके बारे में भी बताया है| अगर आप भी कुमाऊँ के इतिहास के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो आज का यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है|
कुमाऊँ का इतिहास PDF
कुमाऊँ को सबसे पहले कुर्मांचल से नाम से जाना जाता है| कुर्मांचल से कुमाऊँ नाम पड़ने के पीछे कई तर्क है, लोगो का मानना है कि कुर्मांचल का नाम कुमाऊँ इसीलिए रखा गया क्युकि इस क्षेत्र में भगवान विष्णु ने कुर्म अतवा कछवे का अवतार लिया था| कई लोगो का मत अलग-अलग भी है|
कुमाऊँ का अधिकांश भाग पहाड़-पर्वत ही है तो वर्फ से ढाका हुआ रहता है| यह गंगा नदी के मैदानों के उत्तरी भाग तथा तिब्बत के रास्ते तक फैला हुआ है|
अगर आप भी कुमाऊँ का सम्पूर्ण इतिहास को सरल भाषा में पढना चाहते है तो इस पोस्ट में शेयर किये गए पीडीऍफ़ नोट्स का अध्ययन एक बार अच्छे से अवश्य करे|
History of Kumaun PDF Overview
PDF Name | कुमाऊँ का इतिहास PDF |
Language | Hindi |
No. of Pages | 700 |
PDF Size | 20 MB |
Category | History |
Quality | Good |
Download कुमाऊँ का इतिहास PDF
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आज के इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपके साथ History of Kumaun PDF शेयर किया| उम्मीद है कि इस पीडीऍफ़ में दी गयी जानकरी आपको अवश्य पसंद आएगी| अगर आप प्रतियोगी परीक्षा की तयारी करते है तो कंप्यूटर का इतिहास pdf भी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है|
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