आज के इस पोस्ट में हमलोग बिहार में पशुपालन तथा बिहार में पशुपालन से सम्बंधित प्रथ उत्तर के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे| इस पोस्ट का मकसद बिहार की पशुपालन की सम्पूर्ण जानकारी को आपतक पहुचाना है|
बिहार में पशुपालन मुख्य रूप से बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है| क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र लोग पशुपालन को आपने आय का अन्य स्रोत समझते है| जिससे उनकी आय में वृद्धि हो जाती है| गरीबी रेखा के निचले लोगो के लिए यह एक रोजगार का अवसर माना जाता है| ये लोग पशुपालन से अपना जीवन यापन करते है| पशुपालन बड़े पैमाने पर रोजगार भी उपलब्ध करता है| क्योकि गाँव के लोग अक्सर परंपरागत कृषि व्यवस्था में पशुओ को खेत जोताई, माल ढ़ोने, गाड़ी खीचने,खाद एवं इंधन के लिए उपयोग में लाते है| इन्ही पशुओ से मांस, दूध, उन,एवं चमरा आदि प्राप्त होता है| हंश तथा मुर्गी से अंडे एवं मांस की प्राप्ति होता है| पोखर तथा तालाबो में मछली पालन भी काफी प्रचलित है और इसे सुचारू ढंग से यहाँ के लोग करते है| बिहार के ग्रामीण जीवन में पशुपालन का समाजिक तथा आर्थीक महत्व है| बिहार की भौगोलिक दसा के कारण यहाँ वृहत मात्र में पशुपालन किया जाता है|
बिहार में पशुपालन
बिहार के प्रमुख पशुधन में गाय, बैल, भैस, बकरी,भेड़, घोड़ा, मुर्गी, बतख आदि शामिल है| पशुधन बिहार के अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग माना जाता हैं| बिहार में लगभग 30 व्यक्तियों में एक पशु पाया जाता है| जबकि पुरे भारत में औसतन प्रति 20 व्यक्तियों में एक पशु पाया जाता है| यदि इसकें अलावें बिहार के ग्रामीण क्षेत्र की बात किया जाये तो औसतन प्रति 5 व्यक्ति में एक गाय तथा एक बैल पाले जाते हैं| व्यवसायिक दृष्टि से देखा जाये तो गाय की तुलना में भैस का अधिक महत्व है| क्योकि बिहार में 60% दूध केवल भैस से प्राप्त किया जाता है|
बिहार सरकार पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए पशुओ की चिकित्सा,टीकाकरण, बंधियाकरण, कृतिम ग्राभाधान तथा चारा बीजो का निशुल्क वितरण आदि कार्यक्रम चलाती है| बिहार सरकार की ओर से पटना, मुंगेर, भागलपुर, सहरसा, पूर्णिया,मुजफ्फरपुर, दरभंगा, छपरा एवं बांका में कृतिम गर्भधान के लिए तरल नाइट्रोजन के भंडारण के लिए भंडार स्थापित किया गया है| जिससे गाय एवं भैसों को इंजेक्शन के द्वारा आसानी से गर्भवती किया जाता है|
बिहार में मछली पालन
बिहार में लगभग 237.3 हजार हेक्टेयर में जल क्षेत्र है और 3200 किलोमीटर लम्बाई में नदियो का विस्तार है| यह राज्य के कुल भोगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 3.9% है| इतने बड़े क्षेत्रों बिहार के ग्रामीण लोग मछली पालन करके अपने परिवार का भरण पोषण करते है| यदि 2017-18 की आकड़ा के अनुसार देखा जाये तो केवल बिहार मे 587.85 हजार टन मछली का उत्पादन हुआ है| बिहार में मछली उत्पादन जिले मधुबनी, जहानाबाद, कटिहार,किशनगंज मुजफ्फरपुर तथा अररिया आदि शामिल है| बिहार में सबसे अधिक मछली उत्पादन जिला मधुबनी है| जो केवल अकेला 65.65 हजार टन मछली उत्पादन किया है| जबकि सबसे कम जहानाबाद और अररिया जिले में मछली का उत्पादन हुआ है| जो मात्र 1.26 हजार टन है| बिहार के प्रमुख मछलियों में रहू, मांगू, कतला, टेंगरा, बोअरी, झिंगा, लोच, गरई, सिंगी, कबई तथा सिल्वर कप आदि मछलिया है| बिहार में प्रति व्यक्ति मछली की खपत लगभग 7.7 किलोग्राम वार्षिक है| जो राष्ट्रीय खपत का औसतन लगभग 18.8 किलोग्राम वार्षिक है|
बिहार में पक्षी पालन
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में मुर्गी, कबूतर तथा बतख आदि पक्षियो का पालन अधिक मात्र में किया जाता है| क्योकि इस क्षेत्र का जलवायु पक्षियो के पालन के लिए अपेक्षाकृत अनुकूल होता है| पक्षियो मामले में राज्य के जिले कटिहार, किशनगंज, मुजफ्फरपुर अररिया तथा वैशाली आदि सामिल है| जिसका संयुक्त रूप से राज्य के कुल पक्षी संवाद में 30.9% हिस्सा सामिल है| जिससे राज्य को अधिक मात्र में मांस एवं अंडे की प्राप्ति होता है|
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पशुपालन से जुड़े कुछ प्रश्न-उत्तर
- “बकरी” को गरीबों की गाय भी बोला जाता है|
- “जर्सी” गायों की विदेशी नस्ल को कहते है|
- “बुबेलस बुबेलिस” भैस का वैज्ञानिक नाम है|
- भेड़ की गर्भकाल 145 से 152 दिन का होता है|
- परजीवी थनेला रोग का कारन है, जो जानवरों को होता है|
- लेक्टोज को दुग्ध शर्करा के नाम से भी जाना जाता है|
- चिकन मुर्गो के मांस को कहा जाता है|
- पार्क शुअर के मांस को कहा जाता है|
- बिहार में लहभग 60 फीसदी दुश भैसों से प्राप्त किया जाता है|
- बिहार के ग्रामीण इलाके में प्रति 5 व्यकरी में 1 गाय या भैस पाया जाता है|
- बिहार में पशुपालन, बिहार की अर्थव्यवस्था का एक मुख्य आधार माना जाता है|
- बिहार में गाय को पालना बहुत ही शुभ मना जाता है|
- बिहार में अक्सर गरीब वर्ग के ही लोग ज्यादा पशुपालन करके है|
- “बोस इंडीकस” भारतीय गाय का वैज्ञानिक नाम है
- लोही बहर की एक नस्ल है|
- मुर्गा पालन भी बिहार में बड़े-पैमाने में होता है|
- बिहार के मधुबनी में सबसे ज्यादा मछली पालन होता है|
- सूअर की युवा माता को गिल्ट के नाम से जाना जाता है|
आज के इस पोस्ट के माध्यम से हमने बिहार में पशुपालन तथा बिहार के पशुपालन से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को आपके साथ शेयर किया| उम्मीद है कि आपको इस पोस्ट में दी गयी जानकारी अवश्य पसंद आई होगी| अगर आप प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे है तो बिहार की प्रमुख झीलें के बारे में भी जानना आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है|
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